इस मृत्यु का इंतज़ार
कई लोग कई वर्षों से कर रहे थे
इस मृत्यु के न होने की वजह से
मैने तो यह भी कहते हुए सुना है
दिन-प्रतिदिन मृत्यु कठिन होती जा रही है
जिनकी मृत्यु हुई, उन्होंने भी सुना था
कहने लगे, तो मैं क्या करूँ, अगर ज़िंदा हूँ, ज़रुरत से ज्यादा
शतक पूरी करने की कोई ख्वाहिश नहीं है मुझे
आखों ने देखना बंद कर दिया है
पैर चलना भूल गए है
नींद नहीं आती है
भूख नहीं लगती है
मैं क्या करूँ दिमाग ने चलना न बंद किया तो
अति आश्रित जीवन जीने नहीं देती
मृत्यु का आवाहन होती नहीं है सहज
सीमित हैं मृत्यु के संसाधन
किसी ने शायद ठीक ही कहा था
दिन-प्रतिदिन मृत्यु कठिन होती जा रही है
मैंने शतायु को कहते सुना है
एक जीवन में जी लिए मैंने कई जीवन
देखा है मैंने मुझको कई भेषों में
इस बार भेष बदलकर न वापस आऊंगा
मेरे जाने से शायद मेरे अपने
फिर से जी सके श्रृंखलाबद्ध जीवन
फिर से जी सकूंगा मैं अपनों के बीच
फिर से मिल सकेगी मुझे, मेरा खोया सम्मान
मैं खुश हूँ
मेरी मृत्यु की घोषणा किसी को न हताश करेगी
जिसको हताशा होती
वो कई वर्षों पूर्व, अर्ध शतक बनाकर
चला गया था, खेल का मैदान छोड़कर
मुझे नहीं मालूम
मृत्यु मेरा इंतज़ार कर रही है
या मैं मृत्यु का