उस रात एक महात्मा को जिंदा होते देखा मैंने
स्वप्न में सब कुछ सम्भव है
महात्मा से मेरी मुलाकात उनके ही जन्म दिन के दिन
उनके ही सम्मानार्थ हो रहे एक कार्यक्रम में हुई
महात्मा इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे
मैंने महात्मा को सम्मानपूर्वक मंच पर
उनकी ही प्रतिमा के सामने बैठाया
उपस्थित महानुभावों से उनका परिचय करवाया
महात्मा ने अपना वक्तव्य युवा वर्ग के समक्ष रखा
युवा वर्ग ने आग्रह पूर्वक वक्तव्य सुना
वक्तव्य समाप्ति पर, धन्यवाद ज्ञापन करने से पहले
प्रश्न-उत्तर की श्रृंखला चली
इस श्रृंखला की एक कड़ी मैं भी था
मैंने सविनयपूर्वक महात्मा से पूछा
सत्य पर आधारित आपके कई प्रयोग विफल हो रहे हैं
क्या आप अपनी पुस्तक के नये संस्करण के संशोधन पर विचार कर रहे हैं
मृदुभाषी महात्मा थोड़ा मुस्कराये, फिर बोले
मुझे आशा है एक दिन तुम समझ पाओगे, सत्य की सर्वदा विजयी होती है
मुझे आशा है एक दिन तुम समझ पाओगे, मेरा सत्य ही तुम्हारा सत्य है
मुझे आशा है एक दिन तुम समझ पाओगे
मेरी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन 'मैं' अभी भी जिंदा हूं
जिंदा है मेरा सत्य, इतने सालों बाद भी