कुछ दिनों पहले, काफी सालों बाद, डाक्टर के पास जाना हुआ
नाम रजिस्ट्री करवाने के बाद, भेजा गया टेस्ट करवाने
कहा गया रुटीन टेस्ट है, स्वस्थ रहने के लिए जरुरी हैं
टेस्ट का रिजल्ट लेकर पहुंचे डाक्टर साहब के कमरे में
मेरा डाक्टर साहब को अभिवादन, कंप्यूटर ने स्वीकार किया
बिना ताके मेरी तरफ डाक्टर साहब ने पूंछा, क्या परेशानी है
परेशानी से पहले मैंने बताना चाहा, अपने बारे में
किसके पास समय है मेरी बात सुनने का
डाक्टर ने कहा, उसे सब मालूम है मेरे बारे में
उसके कंप्यूटर में मैं पहले से ही बंद था
अचानक मुझे याद आयी, काफी दिनों पहले की
हमारे आर्यनगर वाले राजेन दा, डॉ सेन
देखते ही मुस्कराते, नाड़ी दबाने से पहले पूंछते
घर का हाल-चाल, फिर नाड़ी दबाते- दबाते
पंडित चाचा को बतलाते, फलां मिक्सचर तैयार करने के लिए
काढ़े का ज़माना था, एंटीबायोटिक्स आकर भी आया नहीं था
डाक्टर परिवार का एक सदस्य हुआ करता था
नाड़ी दबाकर जान लेता था, क्या बीमारी है, तन की है या मन की
पैसे का डब्बा पास में पड़ा रहता था
जिसकी जैसी श्रद्धा, उसमें पैसे डालता
एक समय था, न कंप्यूटर था, न रुटीन टेस्ट
न था नाम से बड़ा डिग्री धारी डाक्टर
था एक इंसान, जिसे भरोसा था, अपने हाथों पर
जिसे भरोसा था मेरी नाड़ी पर, मशीनों से ज्यादा
राजेन दा अपने साथ ले गये अपना युग