मैंने तुम्हें पहले भी कहीं देखा है
मानने को मन नहीं करता
जहाँ देखा है
गुज़ारे है दिनों दिन तुम्हारी छाओं में
न्यूटन के ज़माने से देखता चला आ रहा हूँ
तुम न होती समझ न आती आकर्षण की शक्ति
कौन सी विपदा आ पड़ी
रह गयी केवल प्रदर्शन के लिए
शीशे के घड़े में क़ैद
कैसे दे पाओगी छांव
तुम प्रकति की गोद में नहीं
वास्तु के हातों बनी
प्रसाधन वस्तु हो
तुम कोई और हो
मैं तुम्हे नहीं जानता