तुम कहते हो प्रकति ने नहीं
वास्तु ने बनाया है मुझे
क्या तुम्हे लगता है
वास्तु बना सकता है मुझे
अगर प्रकति न होती
कैसे पहचानते मुझे
आकार में छोटी हो गयी हूँ
दोष नहीं है मेरा
बगीचे की शोभा न रहकर
कमरे की शोभा बन गयी हूँ
क्यों क़ैद कर रखा है
आज़ाद कर दो मुझे
फिर देखो कैसे
वन की चिड़िया कैसे
वन वन शोर करे