आजकल के पिता कितने बदल गए हैं
याद है मुझे पचपन साल पहले की घटना
यूपी के टुकड़े नहीं हुए थे
कानपूर भी यूपी में था, देहरादून भी
मेरा रिजल्ट निकला
यूपी बोर्ड का रिजल्ट निकलता था
सौ पन्ने के अखबार में
रात के बारह बजे
ताज़ा खबर वितरण वाले
निकल पड़े मोहल्ले में
आज की ताज़ा खबर चिल्लाते
बोर्ड का रिजल्ट, सिर्फ एक रुपये में
बेचते थे पांच रुपये में
ब्लैक का जमाना था
पास-फेल होने वाले सभी के माता पिता
भाई बहन बुआ ताई दादी नानी चाचा चाची
नींद भरी आँखे लिए निकल पड़ते
पास-फेल का संस्करण खरीदने
फिर होड़ लगती पता लगाने की
87948 अख़बार ने छापा की नहीं
किसी ने कहा 'छपा'
बधाइयों के तार आने लगे
देर रात में भी हलवाइयों की दुकानें खुलने लगी
लड्डू पेड़ों की बौछार होने लगी
नंबर अख़बार में छपा
पचपन प्रतिशत नंबर आये, और क्या चाहिए
आसमान उठाने के लिए कुछ ही पैदा होते हैं
हमारे समय हमारे पिता थोड़ा पाकर ही खुश हो जाते थे
आजकल के बच्चे दुगने बुद्धिमान हो गए हैं
एक सौ दस प्रतिशत नंबर लाते हैं
फिर भी आजकल के पिता खुश नहीं हो पाते हैं