कुछ तिनके बटोरे मैंने
हर उम्र के, हर रंग के
कुछ में छुपा मैं, कुछ में ईश्वर
एक दूसरे को जानने के लिए
सत्य असत्य के ताने बाने में उलझे
कुछ तिनके मिले
कुछ मिले फैलते जलरंग में
अपना रंग लिए
कुछ अधजले , कुछ गीले तिनके मिले
तेज़ हवा से छीन कर लाया मैं कुछ तिनके
कुछ तिनकों से बनाई मैंने सपनों की दुनिया
कुछ तिनकों को रख छोड़ा बूढ़े बरगद तले
मेरे छाया बन जाने के बाद
अपनों की छाया के लिए