न भूलने लायक यादें
आजकल शायद बनती ही नहीं हैं
आज क्या हुआ था याद नहीं रहता
कल क्या हुआ था पीछा ही नहीं छोड़ता
कितने साथवाले ऊपर चले गए
मैं उन्हींकी याद में जीता रहता हूं
मुझसे नाराज़ हैं आज के लोग
कई बार दोहरानी पड़ती है उनको अपनी बात
फिर भी याद नहीं रख पाता
डॉक्टर कहते हैं मेरी यादों की नई थैली में
कई छेद हो गए हैं
यादों की पुरानी थैली नई होती जा रही है
तो मैं क्या करूं