हर दिन नया दिन आता है
हर दिन गलतियां हो जाती हैं
हर दिन कुछ अच्छा हो जाता है
हर रोज़ कुछ नाराज़ लौट जाते हैं
हर रोज़ कुछ खुश होकर जाते हैं
हर रोज़ कुछ न कुछ बदलता रहता है
नहीं बदलते हैं मनोभाव
एक कवि को चार साल की कैद हुई
राजा को न भाता था कवि की भाषा
अधिकारों की लड़ाई उसे मंज़ूर न थी
छीन लिए राजा ने उसके लिखने के अधिकार
नामंजूर कवि को लिखने की नामंजूरी
सात साल की सज़ा मंज़ूर उसे
सुनवाई कवि की मंज़ूर न हुई
मृत्यु के सम्मुख हुआ कवि
मृत्यु के कुछ छण पूर्व
उन्मुक्त हुआ कवि
मिली उसे छीनी कलम
मृत्यु वरण कि थी कवि ने
न छोड़ी थी लिखने कि अभिलाषा
न छोड़ा था लिखने का अधिकार
नहीं बदलते कुछ मनोभाव
हर रोज़ निकलती है नई सुबह
हर शाम नया सूरज ढलता है
हर सुबह में दिखती है आशा की किरण
हर नूतन आती है पुरातन साथ लिए
हर दिन नया दिन होता है
हर सुबह आती है नया सूरज साथ लिए